हिंदी सिनेमा में देशभक्ति और राष्ट्रवाद की यात्रा बहुत लंबी हो चुकी है. आज़ादी के ठीक बाद फिल्मों का राष्ट्रवाद एक नए बन रहे देश की उम्मीदों, आकांक्षाओं पर केंद्रित था. धीरे-धीरे इसमें रोटी, कपड़ा और मकान जैसे मुद्दे जगह बनाने लगे. समय-समय पर इसमें आजादी के महानायकों की जिंदगियां हमारे देशभक्ति प्रदर्शन का जरिया बनीं. फिर देश में दक्षिणपंथी राजनीति हावी हुई तो राष्ट्रवाद का एक सिरा दक्षिणपंथ से जुड़ गया.